Saturday 17 October 2015

हमारे लिए क्यों मायने रखता है ताजिकिस्तान?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 5 सेंट्रल एशियाई देशों कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के दौरे पर गए हैं । इन देशों में सबसे ज्यादा नजर ताजिकिस्तान के दौरे पर रहेगी।
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ताजिकिस्तान की बॉर्डर चीन, अफगानिस्तान, पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) से जुड़ी हैं। चीन से इसकी 520 किमी लंबी बॉर्डर सटी है, जबकि अफगानिस्तान के साथ इसकी बार्डर 1,420 किमी लंबी है। अफगान-वाखान कॉरीडोर 16 किमी का है। इसका मतलब है कि ताजिकिस्तान और पीओके की बीच की दूरी सिर्फ 16 किमी है।
ताजिकिस्तान इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यहां भारत के दो ही एयर बेस हैं। एक आयनी और दूसरा फारखोर में। भारत के लिए ये दोनों स्ट्रैटजिक कारणों से देश के लिए अहम हैं। यहां से भारत पाकिस्तान और चीन की हरकतों पर नजर रखता है।
आयनी एयर बेस पर भारत, ताजिकिस्तान के बीच मिलिट्री कोऑपरेशन पिछले 13 साल से चल रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली पिछली NDA सरकार ने यहाँ एयर बेस बनाने की शुरुवात की.
भारत ने 2002 से 2010 तक इस एयर बेस के रेनोवैशन और इसे मॉर्डन बनाने के लिए करीब 7 करोड़ डॉलर खर्च किए थे। भारत ने यहां सिर्फ डिफेंस इक्पिमेंट ही नहीं भेजे, बल्कि रनवे को 3,200 मीटर तक बढ़ाया।
सियाचिन के वॉचटॉवर हैं ये एयर बेस
इंडियन आर्मी के लिए ताजिकिस्तान, पाक और चीन पर हवाई नजर रखने के लिए काफी अहम है। सियाचिन भी यहां से करीब है।
सियाचिन और पाक अधिकृत कश्मीर में पाक की हरकतों पर नजर रखने के लिए यह सबसे उपयुक्त स्थान है। इंडियन एयर फोर्स कुछ ही मिनटों में पाकिस्तान पहुंच सकती है।
पीओके से नजदीक होने के कारण भारत विरोधी ताकतें ताजिकिस्तान को अपना ठिकाना बना सकती हैं। इससे भारत की सुरक्षा को लेकर चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। इसके अलावा यह देश भारत के लिए सेंट्रल एशिया का गेटवे भी है। इसलिए हमारी विदेश नीति में यह सेंट्रल एशियाई देश सबसे ऊपर है।
Hindaun ‪#‎bharatkaushiksharma

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