Tuesday 3 November 2015

"हमको ही जलना हैं बारूद बनके इस वतन को बचाने में "

''जहाँ गाय कटती हो कत्लखानो में " बिकता माँस महँगा दुकानों में
"मिले दूध माखन नकली "कान्हा को भोग लगाने में"
क्यों कि"गौधन काटा जा रहा,विदेशों को पहुँचाने में
"और करोडो की छूट दे रही "सकरार "कत्लखाने खुलवाने में
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"जब संतोंको अनशन करना पड़ता है। गैचार भूमि बनवाने में "
"यहाँ मर गए संन्यासी सेकड़ों गौमाता को बचाने में
जहाँ कुत्ते शान से रहते दिखे "ऊँचे-ऊँचे मकानों में
"और गाय घूमती मिल जाएँ कचरे के ढेर और पखानो में"
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"असली अनाज उगता नहीं अब खेत खलिहानों में "
"दूध, दही ,मठा, हो गए दुर्लभ अब रोज़ के खानो में "
आर्थिक "संपन्नता" नहीं दिखे "मेरे देश के किसानो में
"किस मुँह से कहे की भारत बसता हैं "गाँवों " में "
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"गिनती होती नहीं यहाँ "अब इंसानो की इंसानो में
"मर जाते हैं।"सैंकड़ों" लिए उम्मीद का हक पाने में"
ईमान बिकता हैं यहाँ आज "कौड़ियों" के दामो में
"हम विश्वास करते थे जिन पर वो जा मिले बेगानो में "
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"अपनों के हाथों कैद हो रहें अपने ही मकानों में
"धर्म-कर्म पर कर लगायें सरकार हिन्दू घरानो में "
हम माफ़ करते हैं सोच के गलती हो गई अनजाने में
"और पीठ पर ही छुरा घोपना ही उनकी नियत हैं इमानो में "
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"जब पहरेदार ही सेंध ! लगाये ख़ज़ाने में "
"किस पर अब विश्वास जताएं पहरे पर बिठाने में
शहीद हो रहें" जवान भारत माँ की लाज बचाने में "
"मेरे देश के नेता आश्वासन देते ' हर बार नए बहाने में "
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"संस्कृति दम तोड़ती खड़ी मौत के मुहाने में"
और हम चीर निंद्रा में लींन पड़े मौज उड़ाने में "
"सर्वेभवन्तु सुखिनय" छोड़ लगे अपना आशियाँ सजाने में
"और" पीडी हो रही बर्बाद दूसरों के भरोसे संस्कार सिखाने में "
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"जो अपने"शाश्त्रो"की रक्षा न कर पाये इस अधर्मी ज़माने में
"क्यूँ "नारायण "अवतार में आये बनके कल्कि तुम्हे बचाने में "
आज़ाद, भगत ,की चाह हैं "सबको जन्म ले फिर से इस ज़माने में
पर नहीं चाहता हैं "कोई" वो पैदा हो मेरे घराने में "
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"चलो हम ही अपनी आहुति दे।इस बगिया को महकाने में "
"हमको ही जलना हैं बारूद बनके इस वतन को बचाने में "
*************भारत कौशिक शर्मा"**************
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Friday 30 October 2015

पाकिस्तान की औकात

पाकिस्तान की औकात
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पाकिस्तान के ऊपर ये जुमला सटीक बैठता है
"खाने पीने की औकात नहीं, चले है दूसरों पर बम गिराने"
आज अगर पाकिस्तान के हालात देखे जाएं तो, रोजाना बम ब्लास्ट , चाइल्ड पोर्न, भुखमरी
बलोचिस्तान की आज़ादी, सेना में गे सेक्स, जरुरी चीजो के दाम बेतहाशा ऊँचे
और पाकिस्तान चला है दूसरों पर बम गिराने
पाकिस्तान की हालात वैसी ही है जैसी एक नशेड़ी भंगी की होती है
घर चलाने को पैसा नहीं पर नशा करने के लिए भीख मांग लेते है
पाकिस्तान भी चीन और अमरीका से भीख मांगता ही रहता है Hindaun‪#‎bharatkaushiksharma‬ ‪#‎bharatkaushik‬ ‪#‎bharatsharma‬


Thursday 29 October 2015

महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखे गए महाभारत जैसा अन्य कोई ग्रंथ नहीं है।

महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखे गए महाभारत जैसा अन्य कोई ग्रंथ नहीं है। यह ग्रंथ बहुत ही वित्रिच और रोचक है। विद्वानों ने इसे पांचवा वेद भी कहा है। महाभारत में अनेक पात्र हैं लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं कि वे सभी पात्र देवता, गंधर्व, यक्ष, रुद्र, वसु, अप्सरा, राक्षस तथा ऋषियों के अंशावतार थे।
भगवान विष्णु की आज्ञानुसार ही उन्होंने धरती पर मनुष्य रूप में अवतार लिया था। महाभारत के आदिपर्व में इसका विस्तृत वर्णन किया गया है। उस समय धरती पर क्षत्रिय बहुत शक्तिशाली हो गए थे और अधर्म से शासन कर रहे थे। अधर्म का नाश करने के लिए ही भगवान विष्णु ने ये लीला रची थी।
महर्षि वेदव्यास के कथनानुसार गांधारी के पेट से निकले मांस पिण्ड से सौ पुत्र व एक पुत्री ने जन्म लिया। महाभारत के आदिपर्व के अनुसार उनके नाम यह हैं-
गांधारी का सबसे बड़ा पुत्र था
१. दुर्योधन २. युयुत्स ३. दुःशासन ४. दुस्सल ५. दुश्शल ६. जलसंघ ७. सम ८. सह ९. विंद १०. अनुविन्द
११. दुर्धर्ष १२. सुबाहू १३. दुश्प्रघर्षण १४. दुर्मर्षण १५. दुर्मुख १६. दुष्कर्ण १७. कर्ण १८. विविंशती १९. विकर्ण २०. शल
२१. सत्व २२. सुलोचन २३. चित्र २४. उपचित्र २५. चित्राक्ष २६. चारुचित्रशरासन २७. दुर्मद २८. दुर्विगाह २९. विवित्सु ३०. विकटानन
३१. उर्णनाभ ३२. सुनाभ ३३. नंद ३४. उपनंद ३५. चित्रबाण ३६. चित्रवर्मा ३७. सुवर्मा ३८. दुर्विरोचन ३९. अयोबाहु ४०. चित्रांगद
४१. चित्रकुंडल ४२. भीमवेग ४३. भीमबल ४४. बलाकी ४५. बलवर्धन ४६. उग्रायुध ४७. सुषेण ४८. कुंडोदर ४९. महोदर ५०. चित्रायुध
५१. निषंगी ५२. पाषी ५३. वृंदारक ५४. दृढवर्मा ५५. दृढक्षत्र ५६. सोमकिर्ती ५७. अनुदर ५८. दृढसंघ ५९. जरासंघ ६०. सत्यसंघ
६१. सद्सुवाक ६२. उग्रश्रवा ६३. उग्रसेन ६४. सेनानी ६५. दुष्पराजय ६६. अपराजित ६७. पडिंतक ६८. विशालाक्ष ६९. दुराधर ७०. आदित्यकेतु
७१. बहाशी ७२. नागदत्त ७३. अग्रयायी ७४. कवची ७५. क्रथन ७६. दृढहस्त ७७. सुहस्त ७८. वतवेग ७९. सुवची ८०. दण्डी
८१. दंडधार ८२. धर्नुग्रह ८३. उग्र ८४. भीमस्थ ८५. वीरबाहू ८६. अलोलुप ८७. अभय ८८. रौद्रकर्मा ८९. दृढरथाश्रय ९०. अनाधृष्य
९१. कुंडभेदी ९२. विरावी ९३. प्रमथ ९४. प्रमाथी ९५. दीर्घरोमा ९६. दीर्घबाहू ९७. व्यूढोरू ९८. कनकध्वज ९९. कुंडाशी १००. विरजा
१०० पुत्रों के अलावा गांधारी की एक पुत्री भी थी जिसका नाम दुुश्शला था, इसका विवाह राजा जयद्रथ के साथ हुआ था।
धर्म ग्रंथों के अनुसार तैंतीस देवता प्रमुख माने गए हैं। इनमें अष्ट वसु भी हैं। ये ही अष्ट वसु शांतनु व गंगा के पुत्र के रूप में अवतरित हुए क्योंकि इन्हें वशिष्ठ ऋषि ने मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दिया था। गंगा ने अपने सात पुत्रों को जन्म लेते ही नदी में बहा कर उन्हें मनुष्य योनि से मुक्त कर दिया था। राजा शांतनु व गंगा का आठवां पुत्र भीष्म के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतीर्ण हुए। महाबली बलराम शेषनाग के अंश थे। देवगुरु बृहस्पति के अंश से द्रोणाचार्य का जन्म हुआ जबकि अश्वत्थामा महादेव, यम, काल और क्रोध के सम्मिलित अंश से उत्पन्न हुए। रुद्र के एक गण ने कृपाचार्य के रूप में अवतार लिया।
द्वापर युग के अंश से शकुनि का जन्म हुआ। अरिष्टा का पुत्र हंस नामक गंधर्व धृतराष्ट्र तथा उसका छोटा भाई पाण्डु के रूप में जन्में। सूर्य के अंश धर्म ही विदुर के नाम से प्रसिद्ध हुए। कुंती और माद्री के रूप में सिद्धि और घृतिका का जन्म हुआ था।
मति का जन्म राजा सुबल की पुत्री गांधारी के रूप में हुआ था। कर्ण सूर्य का अंशवतार था। युधिष्ठिर धर्म के, भीम वायु के, अर्जुन इंद्र के तथा नकुल व सहदेव अश्विनीकुमारों के अंश से उत्पन्न हुए थे।
राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी के रूप में लक्ष्मीजी व द्रोपदी के रूप में इंद्राणी उत्पन्न हुई थी। दुर्योधन कलियुग का तथा उसके सौ भाई पुलस्त्यवंश के राक्षस के अंश थे।
मरुदगण के अंश से सात्यकि, द्रुपद, कृतवर्मा व विराट का जन्म हुआ था। अभिमन्यु, चंद्रमा के पुत्र वर्चा का अंश था। अग्नि के अंश से धृष्टधुम्न व राक्षस के अंश से शिखण्डी का जन्म हुआ था।
विश्वदेवगण द्रोपदी के पांचों पुत्र प्रतिविन्ध्य, सुतसोम, श्रुतकीर्ति, शतानीक और श्रुतसेव के रूप में पैदा हुए थे। दानवराज विप्रचित्ति जरासंध व हिरण्यकशिपु शिशुपाल का अंश था
कालनेमि दैत्य ने ही कंस का रूप धारण किया था। इंद्र की आज्ञानुसार अप्सराओं के अंश से सोलह हजार स्त्रियां उत्पन्न हुई थीं। इस प्रकार देवता, असुर, गंधर्व, अप्सरा और राक्षस अपने-अपने अंश से मनुष्य के रूप में उत्पन्न हुए थे। Hindaun‪#‎bharatkaushiksharma‬ ‪#‎bharatsharma‬ ‪#‎bharatkaushik‬

Wednesday 28 October 2015

राष्ट्रपति बनने के लिये झूठ में नही कहा कि मेरे आगे पीछे कोई नही

अब्दुल कलाम जी ने विवाह नही किया,अकेले थे,
(सच में,राष्ट्रपति बनने के लिये झूठ में नही कहा कि मेरे आगे पीछे कोई नही)
एक बैग लेकर जिसमे दो जोड़ी कपड़े थे राष्ट्रपति भवन में प्रवेश किया,राष्ट्रपति भवन के बाकी सभी कमरे बंद करवा दिये, कहा की मुझे तो एक ही कमरे में सोना है..
दो ही सब्जी बनने लगी राष्ट्रपति भवन में ,
(यह सोच कर कि देश में अभी भी कितने लोग भूखे सोते है)
---खर्चा कम कराएँगे बचायेगे ज्यादा--- देश सेवा करने आया हूँ,
विरासत कि जिंदगी नही जीने आया. Hindaun ‪#‎bharatkaushiksharma‬